पन्द्रह मुखी रुद्राक्ष

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भगवान शिव को पन्द्रह मुखी रुद्राक्ष अत्यन्त प्रिय है क्योंकि यह स्वयं भगवान शिव के स्वरूप पशुपति नाथ का प्रतीक है | भगवान के इसी स्वरूप के नाम पर ही नेपाल में भव्य मन्दिर के रूप में दिव्य पीठ की स्थापना हुई है |

पन्द्रह मुखी रुद्राक्ष के लाभ

शिव के 1008 नामों में पशुपति बहुत ही प्रसिद्ध नाम है इसलिए भी इस रुद्राक्ष का बहुत महत्व है | भगवान शिव के पशुपति नाथ स्वरूप के हाथों में कई पुराने अस्त्र शस्त्र हैं जिनका सबका अलग अलग प्रभाव कहा गया है | पन्द्रह मुखी रुद्राक्ष धारण करने वाले जातक को ह्रदय रोग में लाभ रहता है और आँखों व गले के रोगों पर भी यह रुद्राक्ष अच्छा असर करता है | मस्तिष्क की कल्पना शक्ति पर भी इसका अच्छा असर होता है | पन्द्रह मुखी रुद्राक्ष भूमि के काम करने वालों के लिए और भूमि खरीदने में भी लाभकारी हो सकता है | मानसिक रोगों में भी इसके धारण से लाभ प्राप्त किया जा सकता है | शनि, राहू, मंगल आदि पाप ग्रहों के कुप्राभाव को कम करने में भी यह रुद्राक्ष सहायक सिद्ध होता है इसलिए कलयुग में हम सभी को यह रुद्राक्ष धारण करना चाहिए |

15 Mukhi Rudraksha

पन्द्रह मुखी रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र

इस रुद्राक्ष को धारण करने के लिए मृतुन्जय मन्त्र का पाठ करना लाभकारी रहता है लेकिन अगर मृतुन्जय मन्त्र मुश्किल लगता हो तो सिर्फ “ॐ नमः शिवाय” मन्त्र का पाठ करके भी इसे धारण किया जा सकता है | इसको लाल या काले धागे में धारण करना चाहिए या माला में सुमेरु के स्थान पर लगाना चाहिए |

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चौदा मुखी रुद्राक्ष

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सभी रुद्राक्षों में से गोल एक मुखी के पश्चात चौदा मुखी रुद्राक्ष को सबसे अधिक मान्यता प्राप्त है | यह रुद्राक्ष स्पष्ट रूप से भगवान शिव के रूद्र मर्यादा पुरषोत्तम प्रभु श्री राम जी के अनन्य भक्त भगवान श्री हनुमान जी का स्वरुप माना गया है |

चौदा मुखी रुद्राक्ष के लाभ

जिस प्रकार हनुमान जी का नाम लेने से सभी भूत प्रेत भाग जाते हैं उसी प्रकार इसको धारण करने से समस्त प्रकार की ऊपरी बाधाएं धीरे धीरे समाप्ति की और चल पड़ती हैं | जन्मपत्री में कंटक शनि व राहू की दशा का कुप्रभाव अगर कोई व्यक्ति भोग रहा हो तो उसके लिए चौदा मुखी रुद्राक्ष का धारण करना राम बाण औषधि की तरह माना गया है | नित्य प्रति इस रुद्राक्ष को अपने मस्तक का स्पर्श मात्र करा लेने से मान सम्मान की प्राप्ति होती है | मानसिक तनाव दूर होता है और मन को दृण निश्चय एवं संकल्पित करने में मदद मिलती है | जिन बच्चों का पढाई में मन ना लगता हो या बुद्धि से थोड़े कमज़ोर माने जाते हों उन बच्चों को छह मुखी के साथ चौदा मुखी रुद्राक्ष धारण करने से विदध्या बुद्धि के क्षेत्र में अति उत्तम फल की प्राप्ति की जा सकती है | सभी प्रकार की आध्यात्मिक उर्जा व ज्ञान के लिए भी यह रुद्राक्ष अति उत्तम माना गया है | पूर्व समय में राजा महाराजा चौदा मुखी रुद्राक्ष को अपने मुकुट में धारण करते थे | आजकल वैसा चलन ना होने के कारण वह संभव नहीं है लेकिन यदि किसी प्रकार इस रुद्राक्ष को दोनों नेत्रों के मध्य मस्तक पर धारण किया जा सके तो इसके शुभ फल की तुलना नहीं की जा सकती लेकिन हनुमान जी की कृपा प्राप्त होने के कारण से गले में धारण करके नित्य प्रति पांच माला “ॐ नमः शिवाय” का जाप करके मस्तक मात्र पर इसका स्पर्श करा लेने से पूर्ण फल की प्राप्ति की जा सकती है |

14 Mukhi Rudraksha

चौदा मुखी रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र

इस रुद्राक्ष को धारण करने का मन्त्र “ॐ नमः” है लेकिन यदि इसको धारण करके मृत्युंजय मंत्र का पाठ किया जाए तो अति उत्तम फल की प्राप्ति की जा सकती है |

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तेरह मुखी रुद्राक्ष

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तेरह मुखी रुद्राक्ष साक्षात स्वर्ग के राजा भगवान इन्द्र देव का स्वरुप है | कामदेव का आशीर्वाद प्राप्त होने के कारण से इसके धारण करने से सभी प्रकार की कामनाएँ पूर्ण होती हैं |

तेरह मुखी रुद्राक्ष के लाभ

तेरह मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से दरिद्रता का नाश होकर सभी प्रकार के भोगों की प्राप्ति होती है | सिद्धि साधना के लिए भी यह रुद्राक्ष उपयुक्त माना गया है | यह स्त्री-पुरुष को अपनी ओर आकर्षित करने का सामर्थ्य रखता है इसलिए वशीकरण में भी सहायक माना गया है | गृहस्थ सुख में भी लाभ होता है | तेरह मुखी रुद्राक्ष को ग्रहों को अनुकूल करने के लिए भी धारण किया जाता है | महालक्ष्मी जी की कृपा भी प्राप्त होने के कारण से शुक्र ग्रह पर इसका विशेष प्रभाव माना गया है | भगवान इन्द्र को स्वर्ग का शासन पुनः प्राप्त करने में भी तेरह मुखी रुद्राक्ष का प्रभाव था एैसा कई ग्रंथों में विवरण मिलता है | उच्च पद पर काम करने वाले या कला के क्षेत्र में काम करने वाले सभी जातकों को तेरह मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए और इसके साथ बारह और चौदा मुखी रुद्राक्ष भी अगर धारण कर लिया जाए तो अति उत्तम फल की प्राप्ति की जा सकती है इसमें कोई अतिशोक्ति नहीं है | महाशिवपुराण के अनुसार कामदेव का रूप होने के कारण से उन सभी लोगों को भी यह रुद्राक्ष धारण करना चाहिए जिनके जीवन में प्यार की या गृहस्थ सुख की कमी हो | निष्कर्ष के फलस्वरूप सभी को यह रुद्राक्ष धारण करना चाहिए और शिव के बीज मंत्र का नियमित पाठ करना चाहिए ताकि अधिक से अधिक लाभ अपने जीवन में प्राप्त किया जा सके |

13 Mukhi Rudraksha

तेरह मुखी रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र

इस रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र “ॐ ह्रीं नमः” है | इसको धारण करने के पश्चात इसी मंत्र की या “ॐ नमः शिवाय” मंत्र की पांच माला नित्यप्रति जाप करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और सभी सुख साधन प्राप्त होते हैं |

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बारह मुखी रुद्राक्ष

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बारह मुखी रुद्राक्ष भगवान महाविष्णु का स्वरुप माना गया है | बारह आदित्यों का तेज इस रुद्राक्ष में सम्माहित है इसलिए भगवान सूर्य देव की विशेष कृपा का भी पात्र है यह रुद्राक्ष |

बारह मुखी रुद्राक्ष के लाभ

ह्रदय रोग, उदार रोग व मस्तिष्क से सम्बन्धित रोगों में इस रुद्राक्ष को धारण करने से लाभ हो सकता है ऐसा कई ग्रन्थों में लिखा मिलता है | बारह मुखी रुद्राक्ष को कंठ में या कान के कुण्डल में धारण करने से भगवान विष्णु व सूर्य देव दोनों ही अति प्रसन्न होते हैं | इस रुद्राक्ष को द्वादश आदित्यों की कृपा प्राप्त होने से अश्वमेघ यज्ञ सहित कई यज्ञों का फल प्राप्त होता है | बारह मुखी रुद्राक्ष धारण करने से तन और मन स्वस्थ होते हैं और एक विशेष प्रकार की शक्ति उत्पन्न होती है | राजनीति व सरकारी क्षेत्रों में काम करने वाले जातकों के लिए बारह मुखी रुद्राक्ष अति उत्तम माना गया है | यह रुद्राक्ष क्षत्रुओं का नाश करके व्याधियों का नाश करके सूर्य आदि ग्रहों के कमज़ोर प्रभाव को नष्ट करके सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति करवाता है इसलिए इस रुद्राक्ष को सभी को धारण करना चाहिए |

12 Mukhi Rudraksha

बारह मुखी रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र

इस रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र “ॐ क्रोम श्रोम रोम नमः” है | इस मंत्र की तीन माला या “ॐ नमः शिवाय” मंत्र की पांच माला या मृत्युंजय मंत्र की एक माला नित्य प्रति करने से समस्त प्रकार के रोगों से व समस्याओं से मुक्ति प्राप्त की जा सकती है और लाभान्वित हुआ जा सकता है अतः सभी को भगवान सूर्य और भगवान विष्णु के स्वरुप रूपी बारह मुखी रुद्राक्ष को धारण करना चाहिए |

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