एक मुखी रुद्राक्ष

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भगवान शिव ने समस्त लोगों के कल्याण के लिए अपने नेत्रों से आंसू के रूप में रुद्राक्ष उत्पन्न किए चूँकि भगवान शिव कल्याण करने वाले देवता हैं इसलिए उनकी आँख से प्रथम आंसू गिरते ही एक मुखी रुद्राक्ष उत्पन्न हुए इसलिए एक मुखी रुद्राक्ष को सबसे महत्वपूर्ण और कल्याणकारी रुद्राक्ष माना गया है | एक मखी को साक्षात भगवान शिव का स्वरुप माना गया है और इस सृष्टि की कल्याणकारी वस्तुओं में एक मुखी रुद्राक्ष पहले नंबर पर आता है |

एक मुखी रुद्राक्ष के क्या फायदे हैं ?

  • एक मुखी रुद्राक्ष धारण करने मात्र से ही गंभीर पापों से मुक्ति मिलकर, मन शांत होकर, इन्द्रियां वश में होकर व्यक्ति ब्रह्म ज्ञान की प्राप्ति की तरफ अग्रसर हो जाता है |
  • शरीर में हाई BP इसके धारण करने से धीरे धीरे नियंत्रित होने लगता है और कम दवाई से ही BP शांत रहता है |
  • सभी रुद्राक्षों में एक मुखी रुद्राक्ष को सर्वोत्तम स्थान दिया गया है |
  • इसके धारण करने से शत्रुओं के षड़यंत्र से बचा जा सकता है और भक्ति, मुक्ति, युक्ति एवं धन लक्ष्मी की प्राप्ति में भी यह रुद्राक्ष सहायक है |
  • इससे नेतृत्व गुण विकसित होता है एवं तनावपूर्ण स्तिथि से निपटने की क्षमता आती है अतः जिन्हे नेतृत्व की भूमिका निभानी हो उन्हें यह रुद्राक्ष आवश्य धारण करना चाहिए |
  • लोगों का अनुभव है कि एक मुखी रुद्राक्ष धारण करने से धूम्रपान, शराब, नशीली दवाएं, तम्बाकू इत्यादि छोड़ने में सहयता मिलती है |
1 Mukhi Rudraksha

एक मुखी रुद्राक्ष कितने प्रकार के पाए जाते हैं ?

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एक मुखी भद्राक्ष (नकली काजू शेप वाला)

यह काजू शेप या आधे चाँद की आकृति वाला एक मुखी भद्राक्ष बाज़ार में सबसे ज़्यादा सामान्य है और आसानी से उपलब्ध है | यह आपको बाज़ार में Rs.1,000 – Rs.3,000 में मिल जाएगा | जितना बड़े साइज का और भारी दाना होगा उतनी ही ज़्यादा कीमत होगी | यह दक्षिण भारत में निकलता है | परेशानी ये है कि ये कोई असली रुद्राक्ष है ही नहीं | यह भद्राक्ष है | भद्राक्ष एक पेड़ का फल हैं जोकि भारत में पाया जाता है | यह दिखने में रुद्राक्ष से मिलता जुलता ही होता है लेकिन इसमें रुद्राक्ष की तरह कोई भी मैग्नेटिक प्रॉपर्टीज या एनर्जी नहीं होती है तो इसे धारण करने से कोई भी फायदा नहीं होगा | इस्पे कुछ भी पैसा खर्चने से बेहतर है कि आप अपने पैसे बचाएं क्योंकि यह रुद्राक्ष का कोई फायदा आपको नहीं देगा |

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गोल नेपाली एक मुखी रुद्राक्ष

पिछले 20 वर्षों से एक सिंगल गोल नेपाली एक मुखी रुद्राक्ष भी नहीं पाया गया है तो यह मिलना नामुमकिन है | जितने भी गोल नेपाली एक मुखी रुद्राक्ष आप अन्य वेबसाइट्स या ऑनलाइन देख रहे हैं या तो नकली हाथ से बनाए हुए दाने हैं या फिर वो 4 या 5 मुखी दाने हैं जो पूरी तरह से अभी पके नहीं हैं | इनमे बाहर से तो एक ही मुख बना होता है लेकिन अगर आप इन दानों को X-Ray में रखकर देखेंगे तो अंदर आपको 4 या 5 कम्पार्टमेंट्स बने हुए दिख जाएंगे | अपनी मेहनत से कमाया हुआ पैसा कृपया इनपे ना बर्बाद करें और नेपाली गोल एक मुखी ढूंढ़ने का प्रयास ना करें | आपको जो फोटो हम लेफ्ट साइड पे दिखा रहे हैं वो भी एक पूरी तरह से न पके हुए 5 मुखी की ही है | इसमें बाहर तो एक ही मुख है लेकिन अंदर 5 कम्पार्टमेंट्स बन चुके हैं |

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इन्डोनेशियाई एक मुखी रुद्राक्ष

ये है इन्डोनेशियाई एक मुखी रुद्राक्ष | यह साइज में सबसे छोटा और वज़न में सबसे हल्का होता है लेकिन इन सबके बावजूद आज की तारिख में सिर्फ यही है जिसे आप असली एक मुखी रुद्राक्ष कह सकते हैं और यह छोटा दिखने वाला रुद्राक्ष ही आपको एक मुखी के सभी फायदे देगा | यह काफी दुर्लभ रुद्राक्ष है इसीलिए थोड़ा महँगा आता है लेकिन Rudra Gems पे आपको यह बाज़ार में सबसे काम कीमत पर ही मिलेगा | मैं बस आपसे यही कहना चाहूंगा की काजू शेप वाला एक मुखी भद्राक्ष आप कहीं से कितना ही सस्ता क्यों ना ले आओ अंत में वो आपको महँगा ही पड़ेगा क्योंकि वो असली रुद्राक्ष नहीं है और उसे पहनने से कोई भी फायदा नहीं होगा तो आपने जो भी पैसा उसपे खर्चा है वो सारा बर्बाद ही होगा |

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नेपाली एक मुखी सवार रुद्राक्ष

कुछ लोग हैं जोकि इस नेपाली एक मुखी सवार रुद्राक्ष में से सिर्फ एक मुख तोड़ के एवं उसे थोड़ा सा घिस के फिर उसे असली नेपाली एक मुखी रुद्राक्ष कह के बेच देते हैं | सवार रुद्राक्ष वो होता है जिसमें एक मुख किसी और दाने के ऊपर सवार होकर बैठा होता है इसीलिए इस रुद्राक्ष को सवार रुद्राक्ष का नाम दिया गया | लोग वो ऊपर बैठा हुआ एक मुख का पार्ट तोड़ देते हैं | हमारी यह मान्यता है की जो लोग जान बूझ कर एक रुद्राख को तोड़ रहे हैं वो लोग एक पाप कर रहे हैं इसीलिए आप जब भी सवार रुद्राक्ष खरीदें कृपया पूरा दाना खरीदें, सिर्फ उसका टूटा हुआ एक मुख ना खरीदें |

असली या नकली एक मुखी रुद्राक्ष की पहचान कैसे करें ?

महाशिवपुराण के अनुसार, कोई भी रुद्राक्ष असली है या नकली यह जानने का एक मात्र सटीक तरीका है कि उस दाने को बीच में से काट दो और उसके अंदर कितने खांचे बने हुए हैं वो गिनो | बाहर जितने मुख हैं अंदर भी उतने ही खांचे बने हुए होंगे तो एक असली एक मुखी रुद्राक्ष के अंदर भी सिर्फ एक ही खांचा बना होगा लेकिन आज की टेक्नोलॉजी की वजह से हमें रुद्राक्ष को काटके बर्बाद करने की ज़रूरत नहीं है | यही सेम रिजल्ट X-Ray में आ जाता है इसीलिए हम अपने सारे रुद्राक्ष को एक govt. approved independent lab से सर्टिफाई करवाते हैं जोकि हर दाने को X-Ray में रखकर टेस्ट करते हैं और अंदर एक नेचुरल खांचा दिखने के बाद ही उस रुद्राख को नेचुरल सर्टिफाई किया जाता है | Rudra Gems के हर एक मुखी के साथ आपको X-Ray टेस्टिड लैब सर्टिफिकेट साथ मिलेगा |

ऑनलाइन कई प्रकार के टेस्ट्स भी हैं जैसी की असली रुद्राक्ष पानी में डूबेगा और नकली तैरेगा | यह गलत जानकारी है क्योंकि एक असली रुद्राक्ष जिसमे अभी भी एयर और मॉइस्चर भरा हो वह भी पानी में तैरेगा और अगर आप एक नकली रुद्राक्ष में किसी भी मेटल का एक छोटा सा टुकड़ा डाल देंगे तो वह पानी में डूब जाएगा | तो असली नकली पहचानने का एक मात्र सटीक तरीका है किसी independent lab से X-Ray और Rudra Gems के हर एक मुखी के साथ आपको X-Ray tested lab certificate साथ मिलेगा |

एक मुखी रुद्राक्ष कौनसा व्यक्ति धारण कर सकता है ?

कोई भी व्यक्ति कोई भी रुद्राक्ष धारण कर सकता है क्योंकि रत्नो की तरह रुद्राक्ष का कोई भी नेगेटिव इफ़ेक्ट नहीं होता | इसके जो फायदे मैंने आपको बताए हैं अगर आप उससे रिलेटेड समस्या फेस कर कर रहे हैं तो एक मुखी रुद्राक्ष आवश्य धारण कर सकते हैं | रत्नों की तरह रुद्राक्ष धारण करने से पहले कुंडली या राशि देखना आवश्य नहीं है | आप सिर्फ रुद्राक्ष के फायदे देख कर धारण कर सकते हैं | इसे पुरुष और महिलाएं दोनों धारण कर सकते हैं |

एक मुखी रुद्राक्ष धारण करने का मंत्र और विधि क्या है ?

Rudra Gems पे हम हर रुद्राक्ष को मंत्र उच्चारण से जागृत और एनेर्जाइज़ करके ही भेजते हैं तो रुद्राक्ष मिलने के बाद आपको सिर्फ सोमवार सुबह 108 बार “ॐ ह्रीम नमः” मंत्र का उच्चारण करके गले में धारण करना है | धारण करने से पहले अगर आप इसे एक बार दूध से और फिर गंगा जल से धो सकें तो अति उत्तम होगा | अगर ये ना हो पाए तो आप ऐसे ही 108 बार “ॐ ह्रीम नमः” मंत्र का उच्चारण करके गले में धारण कर सकते हैं |

एक मुखी रुद्राक्ष धारण करने के बाद क्या क्या सावधानियां रखनी चाहिए ?

कोई भी रुद्राक्ष धारण करने के बाद आपको मांस मंदिर का त्याग करना चाहिए और रुद्राक्ष पहनते हुए कब्रिस्तान जाने से बचना चाहिए | अगर आपको मांस मंदिर का सेवन करना भी है तो उससे पहले आपको रुद्राक्ष को उतार के मंदिर में रख देना चाहिए या अगर आप कहीं बाहर हैं तो पहले रुद्राक्ष को उतार के अपनी जेब या बैग में रख लीजिए और सेवन करने के बार अगली सुबह नहाने के बाद आप फिर से इसे गले में धारण कर सकते हैं | रुद्राक्ष पहनते हुए मांस मंदिरा का सेवन बिलकुल नहीं करना चाहिए |

आपको रोज़ रात को सोने से पहले भी रुद्राक्ष को उतार के रख देना चाहिए मंदिर में और अगली सुबह फ्रेश होने के बाद और नहाने के बाद आप फिर से इसे गले में धारण कर सकते हैं |

1 Mukhi Rudraksha

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Descriptions for products are taken from scripture, written and oral tradition. Products are not intended to diagnose, treat, cure, or prevent any disease or condition. We make no claim of supernatural effects. All items sold as curios only.

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रुद्राक्ष

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रुद्राक्ष की उत्पत्ति

आप सभी जानते हैं कि माँ भुवनेश्वरी की असीम अनुकम्पा से ही ब्रह्मा, विष्णु, महेश ने इस सृष्टि का निर्माण किया | इन तीनों में से भगवान शिव ने ब्रह्माण्ड के कल्याण का संकल्प लिया | स्वर्ग पर अधिकार के लिए देवताओं और दैत्यों के युद्ध के समय जब दैत्यों के राजा त्रिपुर ने देवताओं को पराजित करना शुरू किया तब देवताओं की प्रार्थना पर भगवान शिव स्वयं असुरों के राजा त्रिपुर का वध करने के लिए दैत्यों के समक्ष आ खड़े हुए लेकिन राजा त्रिपुर बहुत ही मायावी और तामसी शक्तियों का ज्ञाता था इसलिए भगवान शिव को अनन्त वर्षों तक उससे युद्ध करना पड़ा और अंत में भगवान शिव ने उसका वध करके देवताओं को विजय दिलाई लेकिन युद्ध चूँकि काफी लंबे समय तक चला था इसलिए अत्यन्त थकान एवं युद्ध की विजय के फलस्वरूप भगवान शिव की आँखों से आंसू छलक पड़े, क्योंकि भगवान शिव ने सृष्टि का कल्याण करना है इसलिए आंसुओं की बूँदें जहाँ जहाँ गिरीं उस भूमि पर दिव्य फल के पेड़ उत्पन्न हो गए, क्योंकि रूद्र की अक्ष का आंसू था इसलिए उस फल का नाम कल्याणकारी रुद्राक्ष पड़ा | भगवान शिव के एक नेत्र में सूर्य देव का तेज और दूसरे नेत्र में चन्द्र देव की शीतलता और तीसरे नेत्र में मानव का कल्याण बसता है इसलिए शिव के नेत्रों से गिरे आसुओं से उत्पन्न कल्याणकारी रुद्राक्ष में सूर्य का तेज, चंद्रमा की शीतलता एवं मानवता का कल्याण कूट कूट कर भरा है |

रुद्राक्ष के लाभ

रुद्राक्ष में आध्यात्मिक ऊर्जा उत्पन्न करने की, प्राण ऊर्जा को सहेजने की और भौतिक बाधाओं को दूर करने की अद्वित्य क्षमता पाई गई है | इसलिए हमारे ऋषि मुनियों ने प्रारम्भिक काल से ही रुद्राक्ष के महत्व को समझा और दिव्य मन्त्रों से इसे प्राण प्रतिष्ठित करके धारण किया | इसी रुद्राक्ष के मनकों को पिरो के माला बनाकर उस पर जाप करते हुए शरीर की सभी इन्द्रियों और हजारों नाड़ियों को ऊर्जा प्रदान की जिससे ऋषि मुनियों के तन और मन निर्मल होकर आत्म बल की वृद्धि होकर पाप, रोग, दोष, संकटों व हर प्रकार की बाधाओं से मुक्त होकर वे मानवता का कल्याण करने योग्य हो सके | रुद्राक्ष को भारतीय संस्कृति की अदभुत अमूल्य एवं दिव्य धरोहर बनाने में ऋषि मुनियों का बहुत बड़ा योगदान रहा क्योंकि अनेकों अनेक अनुसन्धान जो हमारे ऋषि मुनियों ने इस पर किये वह महाशिवपुराण, सकंदपुराण, पदमपुराण, लिंगपुराण आदि अनेक ग्रंथों में वर्णनित है | महाशिवपुराण में 1 से 14 मुखी तक का विवरण है लेकिन प्रत्यक्ष में 35 मुखी तक के पेड़ इस धरती पर पाए गए हैं हालाँकि 16 मुखी से लेकर 35 मुखी तक के दाने 1 मुखी की तरह ही दुर्लभ हैं लेकिन तो भी यदा कदा मिल ही जाते हैं | अथर्ववेद में रुद्राक्ष के सम्पूर्ण प्रयोगों का विवरण मिलता है | भगवान शिव के आँख के आँसू जिन जिन स्थानों पर गिरे उनमें भारतभूमि, नेपाल, इंडोनेशिया, मलेशिया आदि प्रमुख रूप से रुद्राक्ष के बहुत बड़े उत्पादक के रूप में सामने आए | काली मिर्च से लेकर बेर तक के आकार के ब्राह्मण, क्षत्रिय, शुद्र, वैश्य चारों वर्णों के रुद्राक्ष इन देशों में पाए गए लेकिन क्षत्रिय वर्ण के रुद्राक्ष को ही सर्वाधिक मान्यता मिल पाई है |

रुद्राक्ष

असली, शुद्ध और लैब प्रमाणित रुद्राक्ष पेंडेंट एवं माला मात्र ₹399/- से शरू

कौनसा दाना धारण करें एवं धारण विधि

रक्त वर्ण का रुद्राक्ष ही शत्रिय रुद्राक्ष माना गया है | मनुष्यों को अपने वर्ण का रुद्राक्ष ना मिलने पर रक्त वर्ण का रुद्राक्ष ही धारण करना चाहिए | समस्त परेशानियों का निदान करने के लिए अगर कम दाने पहनने हों तो आमले के आकार के दाने शुभफलदायक होते हैं और माला पहननी हो तो छोटा दाना सौभाग्य की वृद्धि करने वाला होता है | बेर के आकार का दाना सम्पूर्ण मनोरथों और शुभफलों को प्रदान करने वाला होता है | रुद्राक्ष की माला जितनी छोटे दाने की होगी उतनी फलदाई होगी लेकिन इसमे ध्यान रखने योग्य यह बात है कि कोई भी माला ह्रदय प्रदेश को टच ज़रूर करनी चाहिए | वैसे तो महाशिवपुराण मे कहा गया है कि पापों का नाश करने के लिए और सुख समृधि बढ़ाने के लिए किसी भी आकार का रुद्राक्ष धारण करना अति उत्तम है | सभी मालाओं में रुद्राक्ष के समान फलदाई कोई दूसरी माला नहीं है | टूटे फूटे या कीड़ों से दूषित या जो पूर्ण रूप से विकसित ना हो पाएं हों या जिनमे छेद ना हो ऐसा कोई भी रुद्राक्ष नहीं धारण करने चाहिए | जिस रुद्राक्ष में अपने आप ही डोरा पिरोने लायक छेद हो वही उत्तम माना गया है | सर्वप्रथम भगवान शिव ने इन रुद्राक्षों को स्वयं धारण करके ऋषि स्कन्द जी के माध्यम से हम सबको बताया है कि शरीर के किस भाग मे कितने रुद्राक्ष धारण करने चाहिए |

भगवान शिव ने सर्वप्रथम 550 दानों को अपनी जटाओं व मस्तक पर धारण किया |
108 दानों को लंबे सूत्र मे पिरोकर उसकी माला बनाकर इसको गले में धारण किया |
6-6 दानों की माला कान में, 12-12 दानों की माला हाथ में, 15-15 दानों की माला भुजा में व 32 दानों की माला कंठ में |
इस प्रकार भगवान शिव ने 6 मुखी रुद्राक्ष दाएं हाथ में, 7 मुखी कंठ में, 8 मुखी और 12 मुखी को मस्तक पर, 9 मुखी को बाएँ हाथ में, 14 मुखी रुद्राक्ष को शिखा में धारण करके आरोग्यलाभ, धार्मिक प्रवर्ती का उदय करने, शक्ति प्राप्त करने और विघ्नों के नाश करने के रस्ते बताएँ हैं |

यथा योग्य सिद्ध रुद्राक्ष धारण करने वाले मनुष्य भगवान शिव को अत्यन्त प्रिय होते हैं और शरीर में रक्त का संचारण सही रूप से होकर ब्लड प्रेशर आदि कई प्रकार के रोगों में लाभ प्रदान करते हैं | जिगर की गर्मी बाहर निकालकर ह्रदय को बल प्रदान करते हैं | महाशिवपुराण के अनुसार अगर प्राण प्रतिष्ठा व अभिषेक करके अभिमंत्रित रुद्राक्ष धारण किये जाएँ तो ब्रह्म हत्या जैसे पापों से भी मुक्ति मिलकर अंत में मोक्ष की प्राप्ति संभव होती है | महाशिवपुराण के अनुसार 1 से 14 मुखी तक रुद्राक्ष सभी प्रमुख देवी देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं | इसीलिए ब्रह्माण्ड की सभी शक्तियों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए 1 से 14 मुखी रुद्राक्ष तक का कंठा धारण करना सर्वोत्तम होता है | रुद्राक्ष धारण से समस्त पापों से मुक्त होकर मनुष्य मृतन्जय पद को प्राप्त करता है | तन और मन सात्विकता से भर जाता है और भगवान शिव के आशीर्वाद से भगवान शिव की तरह मानव अपने व मनुष्यों के कल्याण में लग जाता है | यही रुद्राक्ष का सर्वाधिक उत्तम गुण है इसलिए हम इस धरती के समस्त मनुष्यों से आग्रह करते हैं कि वो किसी भी प्रकार से रुद्राक्ष धारण अवश्य करें | आप सबकी जानकारी हेतू अब हम 1 से लेकर 14 मुखी रुद्राक्ष तक के बारे में विस्तार से बताएँगे |

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