सात मुखी रुद्राक्ष

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सात मुखी रुद्राक्ष को माँ लक्ष्मी की कृपा से भरपूर माना गया है | कामदेव का स्वरुप पाने वाला यह रुद्राक्ष अनन्त नाम से जाना गया है | महाशिवपुराण के अनुसार स्वर्ण आदि धातुओं की चोरी या बेईमानी करने के पाप से मुक्ति प्रदान करने में यह रुद्राक्ष सहायक माना गया है |

सात मुखी रुद्राक्ष के लाभ

एैसे मनुष्य जिनका भाग्य उनका साथ नहीं देता और नौकरी या व्यापार में अधिक लाभ नहीं होता एैसे जातकों को सात मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए क्योंकि इसके धारण से धन का अभाव व् दरिद्रता दूर होकर व्यक्ति को धन, सम्पदा, यश, कीर्ति एवं मान सम्मान की भी प्राप्ति होती है चूँकि इस रुद्राक्ष पर लक्ष्मी जी की कृपा मानी गई है और लक्ष्मी जी के साथ गणेश भगवान की भी पूजा का विधान है इसलिए इस रुद्राक्ष को गणपति के स्वरुप आठ मुखी रुद्राक्ष के साथ धारण करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है | ग्रन्थों के अनुसार सात मुखी रुद्राक्ष पर शनि देव का प्रभाव माना गया है इसलिए जो व्यक्ति मानसिक रूप से परेशान हों या जोड़ो के दर्द से परेशान हों उनके लिए शनि देव की कृपा प्राप्त होने के कारण से यह रुद्राक्ष लाभदायक हो सकता है | सात मुखी होने के कारण से शरीर में सप्त धातुओं की रक्षा करता है और शरीर के मेटाबोलिज्म को दुरुस्त करता है |

सात मुखी रुद्राक्ष

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सात मुखी रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र

सात मुखी रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र “ॐ हूँ नमः” है | इस रुद्राक्ष को धारण के पश्चात इसी मंत्र की तीन या पांच माला रोज़ अगर जाप किया जाए तो इस रुद्राक्ष की क्षमता कई सो गुना बढ़ जाती है और धारक को धन एवं यश की प्राप्ति होती है अतः हर नौकरी या व्यवसाय करने वाले मनुष्य को सात मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए |

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Descriptions for products are taken from scripture, written and oral tradition. Products are not intended to diagnose, treat, cure, or prevent any disease or condition. We make no claim of supernatural effects. All items sold as curios only.

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छह मुखी रुद्राक्ष

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छह मुखी रुद्राक्ष भगवान शिव के पुत्र कार्तिके का स्वरुप माना गया है | ज्योतिष की दृष्टि से इस रुद्राक्ष पर शुक्र देव का प्रभाव माना गया है | महाशिवपुराण के अनुसार ब्रह्म हत्या आदि के पापों से मुक्ति प्रदान करने में यह रुद्राक्ष सहायक सिद्ध होता है |

छह मुखी रुद्राक्ष के लाभ

छह मुखी रुद्राक्ष धारण करने से ज्ञान की प्राप्ति होती है, बुद्धि तीव्र होती है, शरीर को रोग मुक्त करने में सहायक होता है और धन प्राप्ति भी करवाता है | यह रुद्राक्ष विशेष कर पढने वाले बालकों को दाई भुजा में धारण करना चाहिए | इस रुद्राक्ष को धारण करने से व्यक्ति में नेत्रित्व करने का गुण आ जाता है | भाषण आदि कला में भी वाक शक्ति प्रबल होती है | छह मुखी रुद्राक्ष के साथ यदि दाई और बाई ओर एक एक पांच मुखी का रुद्राक्ष भी धारण किया जाए तो अति उत्तम होता है | भगवान कार्तिके की विशेष कृपा प्राप्त होती है और सांसारिक दुखों से लड़ने की क्षमता प्रदान करके जीवन के स्तर को अति उत्तम बनाता है | बचपन में जिन बालकों की बुद्धि अधिक तीव्र नहीं होती या परीक्षा के समय में बालक को चिंता होती है, ऐसे बालकों को दो पांच मुखी के बीच में एक छह मुखी रुद्राक्ष धारण करने से परीक्षा में सफलता मिलती है इसलिए विशेष कर सभी बालकों को जो शिक्षा ग्रहण कर रहे हों, उन्हें ये रुद्राक्ष धारण करने चाहिए |

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छह मुखी रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र

छह मुखी रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र “ॐ ह्रीं नमः” है | इस मंत्र से धारण करने के पश्चात् प्रतिदिन यदि पांच माला “ॐ नमः शिवाय” का जाप किया जाए तो अति उत्तम फल देखने को मिलता है |

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पांच मुखी रुद्राक्ष

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कालाग्नि रूद्र के रूप में पांच मुखी रुद्राक्ष को इस ब्रह्माण्ड में स्थापित किया गया है | पञ्च देवों की कृपा से परिपूर्ण यह रुद्राक्ष पञ्च तत्वों के दोषों का नाश करने में सहायक होता है | शिव के उपासकों को पांच मुखी रुद्राक्ष की माला अवश्य धारण करनी चाहिए | पञ्च देवों की कृपा होने के कारण से यह माला भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है |

पांच मुखी रुद्राक्ष के लाभ

मन के रोगों को दूर करके मानसिक तौर पर स्वस्थ करने में यह रुद्राक्ष अति उत्तम फल प्रदान करता है | बढती आयु में जब समृधि का नाश होने लगता है और व्यक्ति अपने अर्जित ज्ञान को भूलने लगता है उस समय पांच मुखी रुद्राक्ष की माला को धारण करने मात्र से सभी परेशानियों में सफलता मिलनी प्रारंभ हो जाती है | महाशिवपुराण में तो अकाल मृत्यु से बचने के लिए इस माला पर महामृत्युंजय मंत्र का पाठ करने से अल्प मृत्यु से बचा जा सकता है | गलत जगहों पर जाने और गलत भोजन करने से प्राप्त हुए पापों को भी यह रुद्राक्ष माला कम करती है | इसका धारक भगवान शिव के गुण एवं धर्मों को प्राप्त कर सकता है | ब्रहस्पति देव पांच मुखी रुद्राक्ष का प्रतिनिधित्व करते हैं इसलिए इसको धारण करने से ब्रहस्पति देव की कृपा भी प्राप्त होती है | नौकरी व्यवसाय में सफलता व् गृहस्थ सुख में भगवान ब्रहस्पति की कृपा से इस माला को धारण करने पर यह सभी लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं |

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पांच मुखी रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र

यह अकेला रुद्राक्ष एैसा है जिसपे भगवान शिव के साथ भगवान विष्णु, भगवान गणेश, सूर्य भगवान व् शक्ति की प्रतीक माँ भगवती की असीम कृपा होती है इसलिए पांच मुखी रुद्राक्ष के कम से कम तीन दाने या पांच दाने या 108 दाने की माला अवश्य धारण करनी चाहिए |

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चार मुखी रुद्राक्ष

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चार मुखी रुद्राक्ष सीधे रूप से ब्रह्मा जी का स्वरुप है | इस रुद्राक्ष को ह्रदय प्रदेश से स्पर्श होते ही मनुष्य का मन धार्मिक हो जाता है और कई प्रकार के आर्थिक लाभ प्राप्त कर सकता है |

चार मुखी रुद्राक्ष के लाभ

चार मुखी रुद्राक्ष संतान प्राप्ति में भी सहायता करता है | महाशिवपुराण के अनुसार चार मुखी रुद्राक्ष लम्बे समय तक धारण किया जाए और भगवान शिव के बीज मंत्र का पाठ किया जाए तो किसी जीव की हत्या के पाप से भी मुक्ति मिल सकती है | इस रुद्राक्ष के धारण करने से मन की एकाग्रता बढती है और कई प्रकार के अनुसन्धान एवं विज्ञान से सम्बंधित कार्यों में सफलता प्राप्त होने की उम्मीद रहती है | वेदों के व् धार्मिक ग्रंथों के अध्यन में इस रुद्राक्ष के धारण करने से सफलता प्राप्त होती है | वाणी में मिठास और दूसरों को अपना बनाने की कला व्यक्ति के अन्दर उत्पन होती है | शरीर के रोगों को दूर भगाने में भी यह रुद्राक्ष लाभकारी माना गया है | मोक्ष सहित चारों पुरुषार्थों की प्राप्ति इस रुद्राक्ष के धारण करने से हो जाती है | ज्योतिष की दृष्टि से बुद्ध ग्रह को इसका कारक माना गया है इसलिए लेखकों को व् विद्धया अध्यन करने वाले बालकों को इसे अवश्य धारण करना चाहिए | बुद्धि को तीव्र करता है और जीवन को श्रेष्ठ बनाने में सहायक होता है |

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चार मुखी रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र

चार मुखी रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र “ॐ ह्रीं नमः” लिखा गया है लेकिन “ॐ नमः शिवाय” के जाप से भी इसे धारण करके सम्बंधित लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं |

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तीन मुखी रुद्राक्ष

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तीन मुखी रुद्राक्ष को अग्नि देव का स्वरुप माना गया है | जिस प्रकार अग्नि स्वर्ण को भी शुद्ध कर देती है उसी प्रकार अग्नि का स्वरुप होने के कारण यह रुद्राक्ष शरीर को शुद्ध करने में सहायक होता है |

तीन मुखी रुद्राक्ष के लाभ

जिस व्यक्ति का मन किसी काम में ना लगता हो या जीवन जीने का आनन्द समाप्त हो चुका हो, शरीर किसी न किसी प्रकार के बुखार से पीड़ित रहता हो, भोजन खाने पर पेट की अग्नि मंद होने के कारण से भोजन के ना पचने के रोग में यह रुद्राक्ष अत्यधिक लाभदायक साबित होता है | अग्नि को तीव्र करके पाचक क्षमता बढ़ने से चेहरा पे तेज एवं शौर्य एवं बल की प्राप्ति कराता है | सभी प्रकार की आपदाओं से मुक्त कराने में तीन मुखी रुद्राक्ष अच्छा काम करता है | नौकरी करने वाले और पेट से सम्बंधित कष्ट पाने वालों के लिए यह रुद्राक्ष अत्यंत लाभदायक है | ग्रंथों के अनुसार तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करने से नारी हत्या के पाप से भी मुक्ति मिलनी संभव हो सकती है |

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तीन मुखी रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र

वैसे तो तीन मुखी रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र “ॐ क्लीम नमः” है लेकिन तीन या पांच माला “ॐ नमः शिवाय” की जपने से यह रुद्राक्ष पूर्ण प्रभाव व्यक्ति को दिखाते हुए, शुद्ध एवं सात्विक करके एैश्वर्य की वृद्धि कराता है इसलिए हर जन को अग्नि देव के स्वरुप तीन मुखी रुद्राक्ष को धारण करके अपना कल्याण करना चाहिए |

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